खुश
हो
रहे
हैं
वो
खुश
हो
रहे
हैं
वो
मुझे
तन्हाइयों
में
देखकर
खुदा
करे
उन्हें
ये
हसीन
पल
नसीब
न
हो
पाल
कर
बैर
मुझसे
बैठे
हैं
दिल
में
वो
वो
ये
जानते
नहीं
मुझसे
बेहतर
खैरख्वाह
कोई
नहीं
हर
पल
इतना
मुझे
याद
आते
हैं
वो
मुझे
माफ़
करना
ऐ
मेरे
खुदा
मैं
तेरा
गुनाहगार
हूँ
बयान
क्या
करून
उन
हसीं
पलों
को
ये
वो
दौर
था
,
जब
मुझे
उस
खुदा
का
भी
होश
न
रहा
उसकी
मस्त
चाल
में
मैं
डूबा
रहा
कुछ
इस
तरह
न
मुझे
खुद
का
होश
रहा
न
उस
खुदा
का
ख्याल
गीत
है
,
शायरी
है
या
फिर
ग़ज़ल
है
तू
जब
भी
तुझे
गुनगुनाऊँ
खुद
को
भूल
जाता
हूँ
मैं
तुम
आये
गुलशन
में
बहार
आई
बेनजीर
है
तू
,
तेरे
आने
से
जिन्दगी
में
रौनक
आई
ऐ
हुस्न
की
मल्लिका
मेरी
रातों
को
रोशन
कर
जा
इसी
आरज़ू
के
साथ
जिए
जा
रहा
हूँ
मैं
जब
से
तुम
हुए
हो
किसी
और
के
आशियाने
का
गुरूर
मेरे
अरमानों
ने
भी
मेरा
साथ
छोड़
दिया
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