Tuesday, 6 January 2015

बाज़ारों में मेले लगने लगे हैं


बाज़ारों में मेले लगने लगे हैं
 

बाज़ारों में मेले लगने लगे हैं
 
जेबों में पैसे खनकने लगे हैं
 

कहीं चूड़ियों की हो रही खनखनाहट
 
कहीं खरीदारों के रेले लगे हैं
 

परियों सी गुड़िया की बातें पूछो
 
बच्चों का मन ये लुभाने लगी हैं
 

खिलोनों को देखकर बच्चे सोचें
 
कब ये हमारे साथी बनेंगे
 

झूलों को देखकर बच्चे खुश हो रहे हैं
 
पापा की जेब में सेंध लगने लगी है
 

बाज़ारों की सूरत बदलने लगी है
 
गुड़ियों पर विडियो गेम्स भारी पड़ने लगे हैं
 

सजने संवारने का फैशन हो गया है
 
गलीगली ब्यूटी पार्लर खुलने लगे हैं
 

बाज़ारों की किस्मत बदलने लगी है
 
दस की चीज सौ में बिकने लगी है
 

बाज़ारों में युवा वर्ग की चाहत पूछो
 
कमर पर बेल्ट , सिर पर टोपी , जेब में मोबाइल सजने लगे हैं
 

बगैर ब्रांड की इनकी जीन्स होती
 
अब तो डियोड्रेंट भी चलने लगे हैं
 

इन फैशनों ने बजट को बिगाड़ा
 
पापा भी साइड से पैसे कमाने लगे हैं
 

बाज़ारों में एक और नयी बात देखी क्या
 
गलीगली कोचिंग सेंटर खुलने लगे हैं
 

पढ़ाई का हमको तो पता नहीं यारों
 
ये कोचिंग सेंटर लवर पॉइंट बनाने लगे हैं
 

कारों की बिक्री जोरो शोरों पर है
 
हर एक घर में बाइक , साइकिल की तरह सजने लगे हैं
 

स्कूटी पर घूमें ये जीन्सटीशर्ट में सुंदरियां
 
मोटर बाइक पर युवा इनका पीछा करने लगे हैं
 

बाज़ारों में मेले लगने लगे हैं
 
जेबों में पैसे खनकने लगे हैं

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