गीत
आनंद
विभोर
के
लिखने
की
कोशिश
कर
रहा
हूँ
मैं
हर
एक
चरित्र
को
खुश
करने
की
कोशिश
कर
रहा
हूँ
मैं
तुम
मेरे
गीतों
की
वाणी
हो
जाओ
तुम
मेरी
गजलों
की
रूह
हो
जाओ
मेरे
भजन
सभी
का
जीवन
करें
रोशन
मेरे
शब्दों
में
मातु
शारदे
तुम
समा
जाओ
मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
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