गंजों
का
दुनिया
में
अपना
ही
नाम
है
गंजों
का
दुनिया
में
अपना
ही
नाम
है
न
कंघी
की
जरूरत
,
न
तेल
का
कोई
काम
है
चाँद
इनकी
चमके
,
दुनिया
में
बेमिसाल
है
ढूंढते
हकीम
ये
,
बालों
की
चाह
में
कहते
हैं
गंजों
के
पास
,होता
बहुत
माल
है
पर
बालों
के
मामले
में
होती
किस्मत
कंगाल
है
गंजों
की
बीवियों
को
पति
के
बालों
न
होने
का
रहता
मलाल
है
गंजों
की
बीवियों
का
भी
गंजों
सा
हाल
है
सोचते
थे
कभी
हरियाली
थी
इनके
सिर
पर
कंघी
दौड़ती
थी
इनके
सिर
पर
सर-सर
लड़कियां
मरती
थीं
इनके
बालों
की
स्टाइल
को
देखकर
रौब
मारते
थे
ये
अपने
बालों
को
देखकर
पर
आज
रो
रहे
हैं
ये
एक
– एक
बाल
के
लिए
कोसते
हैं
खुद
को
इस
चिकनी
चाँद
के
लिए
डॉक्टर
और
हकीम
के
चक्कर
मारे
बहुत
– बहुत
जेब
से
माल
भी
निकाले
बहुत
– बहुत
पर
आज
भी
बालों
की
फसल
रोशन
हुई
नहीं
इस
मुरझाये
चहरे
पर
मुस्कराहट
फैली
नहीं
अब
आप
ही
बताओ
मैं
कहाँ
जाऊं
इस
बालों
से
विहीन
चाँद
को
कैसे
मैं
छुपाऊँ
हाय
ये
चाँद
मुझको
कितना
रुलाएगी
मेरी
बीवी
भी
मुझे
अपने
पास
न
बिठाएगी
ख़ुशी
है
कि
बालों
वाले
मुझे
देख
इठलाते
और
अपनी
उपलब्धि
पर
मंद
– मंद
मुस्काते
दूसरों
को
देख
– देख
खुश
हो
रहा
हूँ
मैं
अपने
बालों
की
और
देख
ग़मगीन
हो
रहा
हूँ
मैं
दुआ
करो
अगले
जन्म
,
ये
हरियाली
मुझे
मिले
अगले
जन्म
में
सुन्दर
सी
बीवी
मुझे
मिले
गंजों
का
दुनिया
में
अपना
ही
नाम
है
न
कंघी
की
जरूरत
,
न
तेल
का
कोई
काम
है
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