1.
मनोरम तेरा रूप
स्वस्थ तेरे विचार हो जायेंगे
गर तू संकल्प मार्ग को
जीवन का ध्येय कर लेगा
२.
विलासिता की राह पर चलकर
कभी सपने साकार नहीं होते
भटक जाते हैं वो राही
जिनके मंजिल की दिशा में पाँव नहीं होते
3.
आधुनिकता के सांचे में जो ढल जाओगे,
फिर आदेशों की गंगा कैसे बहाओगे
बना लोगे जो पाश्चात्य विचारों से नाता, अपनी
संस्कृति और संस्कारों से दूर हो जाओगे
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