Tuesday 15 December 2015

प्यार वालों ज़रा संभल के

प्यार वालों ज़रा संभल के

प्यार वालों ज़रा संभल के , ये इश्क आसां नहीं है
कुछ गिरते हैं , कुछ उठते हैं, ये राह इतनी आसां नहीं है

प्यार वालों ज़रा संभल्र के , ये इश्क आसां नहीं है

इश्क में चैन नहीं , दो पल का सुकून नहीं
कुछ हैं जीते , कुछ हैं मरते, ये राह इतनी आसां नहीं है

प्यार वालों ज़रा संभल के , ये इश्क आसां नहीं है

अंजामे--मुहब्बत से वाकिफ हैं सभी “ अनिल"
खुद को रोक सकें , ये राह इतनी भी आसां नहीं है

प्यार वालों ज़रा संभल्न के , ये इश्क आसां नहीं है

अमानत हो जाए एहसासे--मुहब्बत , ऐसे अरमां दिल में रख
मुहब्बत के दुश्मनों से बच , ये राह इतनी भी आसां नहीं है

प्यार वालों ज़रा संभलत्र के , ये इश्क आसां नहीं है

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