Monday, 21 December 2015

खूबसूरती

खूबसूरती

मन मंदिर से उपजा एक एहसास है खूबसूरती

खूबसूरती आँखों से होकर दिल में बस जाने की एक चाह

खूबसूरती जो कवि की कविता को सौन्दर्य से अलंकृत कर दे

खूबसूरती जो शब्दों में पिरोकर बयाँ की जाए तो ग़ज़ल हो जाए

खूबसूरती का एहसास जब महफ़िल को रोशन करने लगे तो वह शायर के दिल की आवाज़ हो जाए

खूबसूरती सौन्दर्य से परिपूर्ण सरिता की कल – कल करती अनवरत बहती धरा का नाम है

खूबसूरती जो जंगल के शांत वातावरण में पक्षियों का संगीत बन उभरे

खूबसूरती जो सुन्दर तन की मोहताज नहीं

खूबसूरती जो पालने में झूला झूलते नवजात शिशु की मुस्कान का एहसास है

खूबसूरती जो एक प्यासे को खुशबू से भरे जल पात्र की और मुखरित करे

खूबसूरती कहीं दो सुन्दर नेत्रों का एहसास तो कहीं इठलाती मदमस्त चाल से सभी को लुभाती

खूबसूरती मन के किसी कोने में प्रेम का एहसास जगाती तो कहीं प्रेम में इंतज़ार का एहसास होती

खूबसूरती प्रकृति के आँचल में बसती हरियाली का पर्याय होती

खूबसूरती कहीं दूर बादलों की ओट में पहाड़ों पर बर्फ की चादर होकर सभी को अपनी और आकर्षित करती
खूबसूरती के अपने पर्याय हैं

मानव मन की खूबसूरती के मायने अलग – अलग हैं
कहीं खूबसूरती पर तन हावी हो जाता है तो कभी मन

खूबसूरती तेरी आंखें बयाँ करैं तो हो जाती है दिल की धड़कन बेकरार

तेरा हुस्न की खूबसूरती हो जाती है इश्क और मुहब्बत का आगाज़
 



No comments:

Post a Comment