Sunday, 13 December 2015

मैं तेरी शरण में आया हूँ प्रभु

मैं तेरी शरण में आया हूँ प्रभु

मैं तेरी शरणमें आया हूँ प्रभु
नैया मेरी पार लगा दो

तेरे चरणों से बांध जाऊं मैं
ऐसे मेरे मन में विचार जगा दो

अजनबी न समझो मुझको
निज चरणों में जगह दिला दो

भाग्य मेरा मुझसे न रूठे
कर्म राह दिखला दो मुझको

बिखरा – बिखरा सा है जीवन
प्रभु अपने चरणों में मुझे रमा दो

लालसायें तो बहुत हैं
मोक्ष राह दिखला दो मुझको

काम – वासना राह नहीं हो
आध्यात्म राह पर प्रस्थित कर दो

सौभाग्य मेरा कीर्ति हो तेरी
ऐसा कुछ विश्वास जगा दो

पुरस्कार मुझको नहीं भाते
मन में सुन्दर भाव जगा दो

श्रेष्ठ उपासक हो जाऊं मैं
ऐसे मेरे भाग्य जगा दो

प्रतिशोध नहीं हो नियति मेरी
मन में क्षमा भाव जगा दो

गौरवान्वित हो जाऊं प्रभु
मन में सेवा भाव जगा दो

भोग विलास नहीं मुझको प्यारे
स्वर्ग राह दिखला दो प्रभु 

मैं तेरी शरण में आया हूँ प्रभु
नैया मेरी पार लगा दो







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