Friday, 1 January 2016

करम मुझ पर करो मौला - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

करम मुझ पर करो मौला


करम मुझ पर करो माला, दिल की पीर कम हो जाए

जहां से भी मैं गुजरूँ, रोशन नज़ारा हो जाए


अजब शखिसयत के मालिक, अजाब से बचाकर रखना

अकबर है तू मेरे खुदा, मेरी इबादत को अमानत करना

तेरी आगोश में बीते हर पत्र , मेरी हर एक कोशिश पर करम

करना

तू आदिल है मैं जानता हूँ ये, मुझे इंसानियत अता कर माला

तेरे नाम को एहसासे जिन्दगी कर लूं, मेरे मौला मुझ पर

इतना करम करना

तेरा आसरा जो मित्र जाए मुझे , रोशन हो शख्सियत मेरी

मौला

तेरे इख्तियार में है मेरी जिन्दगी या रब, पनाह में रख या

छोड़ दे मुझको

तुझ पर है एतबार मुझे, अपनी दया का करम मुझ पर करना

जिन्दगी को मेरी किनारा नसीब करना, मंजिल अता करना


तेरे कायदे कुबूल मुझको ऐ मेरे खुदा, अपना बनाकर मुझकों रखना

मैं खुशनसीब हूँ तेरे करम से मौल्रा, अपना शागिर्ट बनाकर रखना

मुरीद हो गया हूँ मैं तेरा मौला, अपने दर का चिराग कर माँला

कभी जो डूबने लगूं तो सहारा देना, जो अटक जाऊं तो संभात्र लेना

ख्वाहिश है मेरी ऐ मेरे खुदा , अपनी पनाह में ताउम्र रखना

तेरे करम से गुजारा हो रहा मेरा, गुजारिश है अपनी रजा में मुझको

रखना

गुलशन में गुलाब बन के खिलूँ , मेरी इस ख्वाहिश को अपनी ख्वाहिश

करना

शायरों की भीड़ में मुझे गालिब सा करना, इबादत में मुझे अपनी लेना

जवाहर हो रोशन हो नाम मेरा , हर हाल में अपनें करम का साया

रखना

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