Wednesday 16 December 2015

जोशे दिल में हो वतन परस्ती का ज़ज्बा

जोशे दिल में हो वतन परस्त्ती का ज़ज्बा

जोशे--दिल में हो वतन परस्ती का ज़ज्बा
जियें तो वतन की खातिर , मरें तो वतन की खातिर

दैखें जो घूरकर तो बाहर कर दैं आंखें उसकी
खेलें वो जो खूं की होली तो धरती को दुश्मन के खूं का कर दें समंदर

चीर कर रख दे , अंतड़ियां निकालकर बाहर रख दें
बुरी नीयत से जो घुस आये हमारे देश के औतर

गाजर--मूली की तरह, चौरकर रख देंगे दुश्मनों को
जो आँख उठाकर भी देखे हमारी धरती पर

सौँगंध मादरे--वतन की , खुद को तुझ पर कर दैंगे कुर्बान
जियेंगे तो बीर होकर, मरेंगे तो परमवीर होकर

करेगे नहीं शहीदों की कुर्बानियों को निराश
संभाल कर रखेंगे तुझको ऐ दतन, आने वाली पीढ़ियों की खातिर

ज़माना मेरे वतन को कमजोर समझने की भूल न करे
यूं ही नहीं जानते हमें लोग, विश्व शांति की खातिर

दुश्मनों को दिखाया हमने , वतन परस्ती का ज़ज्बा
यूं ही नहीं कुर्बान करते खुद को , वतन की खातिर

इस गुलशन को दुश्मनों की नज़र से बचाए रखना ऐ मेरे खुदा
इस आशियों को रोशन करना, दुनिया की खातिर

इकबाल बुलंद हो मेरे वतन का ऐ मेरे खुदा
इसे मानवता का मसीहा करना , इंसानियत की खातिर



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