Monday 21 December 2015

मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत , काश !
तीन सौ वर्ष पूर्व की गंगा सा पावन, निर्मल होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आज भी सोने की चिड़िया कहलाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आज भी रामराज्य की संकल्पना को साकार करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
भाईचारे के  पावन रिश्ते से परिपूर्ण होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
पुनः संत समाज के मानवतावादी व धार्मिकतावादी विचारों से ओतप्रोत होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
राजभाषा हिंदी को विश्व पटल पर सम्मानित करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों का गढ़ न होकर
राष्ट्र को समर्पित चरित्रों का आशियाँ हो जाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
भ्रष्टाचार से मुक्त एक मानवतावादी विचार से संपन्न राष्ट्र होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आधुनिक विचारों से प्रभावित न होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
संस्कृति और संस्कारों की गंगा बहाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आध्यात्म और जीवन जीने की कला से परिपूर्ण एक संगम होता
भौतिकतावाद से ऊपर उठ आध्यात्मवाद का केंद्र हो पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !

ऋषियों – मुनियों के सद विचारों से पुष्पित होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
स्वयं को क्षेत्रीयतावाद , धार्मिकता , सम्प्रदायवाद से ऊपर उठ
प्रजातंत्र को जीवंत रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
काले धन के चोरों की शरण स्थली न होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
कवियों के रक्त से लिखी मानवतावादी विचारों से परिपूर्ण
कविताओं से पुष्पित होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
गाँधी, विवेकानंद , टैगोर के विचारों को जीवंत रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आदर्शों , संस्कारों को संजोकर रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आधुनिक दूषित विचारों से स्वयं को बंधन मुक्त रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
देवालयों , मंदिरों की घंटियों की ध्वनि से पावन होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
चर्चों , मस्जिदों , गुरद्वारों के पावन विचारों की धरोहर होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
कोई भी देश में कुपोषण का शिकार न होता
कोई भी भूख से न मरता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां बालपन बाल मजदूरी को बाध्य न होता
काश वह शिक्षा उपवन की रौनक होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां की मिटटी की भीनी – भीनी खुशबू
जीवन की बगिया को पुष्पित करती
शिक्षा के मंदिर देवालयों से पूजे जाते
जहां शिक्षक वृन्द देवतुल्य हो जाते

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां किसान को अन्नदाता समझा जाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
काश पावन जल से परिपूर्ण कालिंदी को सिंचित कर पाता
जहां गंगा, निर्मल- पावन होकर कल – कल कर बहती , जीवन प्रदान करती

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां बालपन अठखेलियाँ करता
परम्परागत साधनों से बालपन को सींचता , पुष्पित करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां भ्रष्ट आचरण को तनिक भी स्थान न मिलता ,
सद विचारों की गंगा बहती

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां घर – घर में राम के आदर्श पल्लवित व संस्कारित होते
गौतम बुद्ध , विवेकानंद, नानक, रामकृष्ण के धार्मिक
विचारों को शिक्षण संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त होता और
वे इन विचारों के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक होते

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां घर , मकान न होकर मंदिर हो जाते
रिश्तों की मर्यादा , समाज का पूँजी होती

मेरे सपनों का भारत , काश !
सबकी आँखों का नूर होता
काश ! सबके दिलों पर राज़ करता
काश ! भारत, भरत के आदर्शों की पूँजी सहेज पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
मेरे सपनों का भारत , काश !

मेरे सपनों का भारत , काश !

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