Thursday 17 December 2015

वक़्त के समंदर से

वक़्त के समंदर से

वक़्त के समंदर से दो बूँद , प्रयासों की चुराकर देखो
रोशन हो जायेगी , शख्सियत तेरी

आईने के सामने दो पल के लिए , खुद को निहारकर देखो
तेरी जिन्दगी , खूबसूरती का आइना हो जायेगी

वक़्त का इंतज़ार . क्‍यों करे » अंजुम ”
वक़्त की कदर न की तो , जिन्दगी तेरी फना हो जायेगी

वक़्त के दरिया में , कुछ पल तैरकर देखों
जिन्दगी मंजिल की ओर , चंद कदम और बढ़ जायेगी

अपने प्रयासों को , वक़्त की कसौटी पर तौलकर देखो
जिन्दगी तेरी अभिनन्दन मार्ग की ओर , प्रस्थित हो जायेगी

वक्‍त के साथ दो पल , कोशिशों के बिताकर देखो
उत्कर्ष की राह , तेरी जिन्दगी का मकसद हो जायेगी

वक़्त के अपने प्रयासों से , अपने अनुकूल बनाकर देखो
तेरे हर एक प्रयास को , मंजिल मिल जायेगी

जीवन के अंधकारपूर्ण पलों में , कोशिशों की लौ जलाकर देखो
जिन्दगी तेरी सफलता के , मुकाम तक पहुँच जायेगी

आत्मविश्वास को , अपने प्रयासों की पूंजी बनाकर देखो
सफल होंगे तेरे प्रयास, मंजिल तेरे क़दमों में आ जायेगी

अपने संस्कारों को, आदर्शों को जीने का आधार बना कर देखो
जिन्दगी शोभनीय से , अतिशोभनीय हो जायेगी


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