Sunday 13 December 2015

बचपन को खिलने दो


बचपन को खिलने दो

बचपन को खिलने दो , खुशियाँ भर जीने दो
बस्ते का बोझ न हो, जी भर मचलने दो

बचपन की बातों को , बचपन की यादों को
खुशबुओं से भरने दो, खुशियों को संवरने दो

नटखट इन चरित्रों को, चंचल हो जाने दो
बचपन का ढेर सा , प्यार मिल जाने दो

बचपन के खेलों में, बचपन को डूब जाने दो
हाथ में हो गिल्ली--डंडा , पतंग को उड़ जाने दो

बचपन की मासूम मुस्कान, चेहरे पर खिल जाने दो
बचपन को बचपन की, बाहों में संवरने दो

बालमन को सरिता सा ,पावन हो बहने दो
बचपन की शरारतों को , मनभावन हो जाने दो

बालपन को पुस्तकों के, रंगों में रंग जाने दो
बच्चों के बालमन में, प्रश्नों को उपजने दो

बालमन के शून्य मन में, उत्कंठा पनपने दो
स्रेह की प्यारी आँखों को, प्यार का दम भरने दो

बचपन की तोतली बोली को, मन मोहने दो
अंगुलियाँ पकड़- पकड़ , यहाँ से वहां डोलने दो

प्यार बेशुमार इनके ,जीवन में भर जाने दो
बचपन को जीने दो, बचपन को संवरने दो





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