कामचोर पार्ट - 2
कामचोरों के नखरे हज़ार होते
हैं
दिखते हैं चुस्त, पर दिल से
बीमार होते हैं
कामचोरों की हमसे मत पूछो
भैया
जहां भी जाते हैं , ये
कामचोर पैदा करते हैं
बड़ी ही गन्दी कौम होती है
ये भैया
इनके साथ रहो, पार न होवे
नैया
डांट खाना , इनकी पुरानी
आदत है
बड़े बेशर्म हैं , कोई फर्क
नहीं पड़ता है इन्हें
इनकी कातिल मुस्कान से बचना
भैया
खुद तो डूबते, दूसरों को
डुबो देते हैं
चाल से इनकी बचकर रहना भैया
खड़े – खड़े ये नाकों चने
चबवा देते हैं
जहां भी जाते हैं ये गालिया
खाते हैं
जो साथ इनके रहता है, उसे भी गालिया खिलवाते हैं
न जीतते हैं , न दूसरों को
जीतने देते हैं
इनके सारे कारनामे ,
बेवकूफी भरे होते हैं
कामचोरों ने हमको बहुत
छकाया है
इनकी माया में छिपी कोई
महामाया है
अल्ला बचाए , हमें इन
कामचोरों से
धरती पर घूमते- विचरते इन
बोझों से
दुनिया की तरक्की में ये
बाधक हैं
वैसे इनका हम पर चलता जोर
नहीं
काम करने वालों की जग में
पूछ होती है
दुनिया में कामवालों की
इज्जत होती है
कामवालों से ये कामचोर कुछ
सीखें
ज्यादा नहीं तो थोड़ा ही
योगदान करैं
खुद की इज्जत करें औरों को
इज्जत दें
जितने भी दिन ये जियें सर
उठाकर जियें
अभिनन्दन की राह पर ये
बेखौफ बढ़ें
दूसरों को प्रेरित करें,
आगे बढ़ें – आगे बढ़ें
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