Sunday 13 December 2015

चंद एहसास - मुक्तक


1.

मुहब्बत के इन खुशनुमा पलों को दिल में सजाकर रखना
इंबादते -इश्क के इन एहसासों को बचाकर रखना

खुदा ने नवाज़ा है हमें , मुहब्बत की इस नियामत से
खुदा की इस नियामत को , दिल में सहेजकर रखना

२.

उस आसमानी खुदा पर , गर भरोसा है तुझको
एहसासे -मुह॒ब्बत के इस चिराग को रोशन रखना

उस खुदा का हर एक करम गर कबूल है तुझको
खुद की उस खुदा की राह पर फना करना

3.

अजनबी न समझना खुद को, अज़ीज़ है उस खुदा को तू
इंसानियत की राह में तू खुद को , उस खुदा की अमानते करना

खुदा का दर नसीब हो तुझको, इस एहसास को दिल में ज़वां रखना
आहिस्ता -आहिस्ता ही सही करम होगा उसका , उस खुदा पर एतबार रखना


4.

किनारे यूं ही मंजिल का निशाँ नहीं होते
बीच मझचधार कोशिशों की नाव चलाकर देखो


5.

कायदों की परछाइयों को जिन्दगी का हिस्सा बनाकर देखो
सफलताओं के दौर से गुजरोगे तुम और मंजिलें तेरे क़दमों का निशाँ होंगी



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