चंद काफिये क्या बयाँ करें , तुझको ऐ मेरे खुदा
चंद काफिये क्या बयोँ करें .तुझको ऐ मेरे खुदा
तेरा हर एक करम बयोँ करे . तुझकों ऐ मेरे खुदा
काब्रिल है तू तेरे करम से . रोशन हो रही है फिजां
तेरी इनायत तेरा ज़माल बयाँ करे तुझको ऐ मेरे खुदा
तेरी जियारत . तेरा हज मेरे मौला. नसीब हो मुझको
मेरी तरक्की. मेरी ख्वाहिशों को . रोशन कर ऐ मेरे खुदा
तारीफ़ तेरी लफ़्ज़ों की मोहताज़ . नहीं मेरे माला
उम्मीद का दामन न छूटे . इश्के--डबादत अता कर ऐ मेरे खुदा
नादानी . जो हो जाए . तो माफ़ करना मुझको ऐ मेरे खुदा
अपनी आँखों का नूर कर . राहे--इंसानियत अता कर मुझको ऐ मेरे खुदा
नॉबहार आया कि जन्नत करों आशियाँ को मेरे
खिले हर एक चेहरा . मेरी मुरादों को अंजाम दो ऐ मेरे खुदा
मुहब्बते--इबादत को मेरी .जिन्दगी का मकसद कर ऐ मेरे खुदा
मेरा ईमान मेरी अमानत हो जाए ऐ मेरे खुदा
तेरे ऑचल के साए में . मेरी जिन्दगी परवान चढ़े
हर एक शख्श अपने वादे--ऐ--इंसानियत पर खरा उतरे ऐ मेरे खुदा
चंद सिक्कों की खातिर, इंसानियत बदनाम न हो
किसी ईमान पसंद शख्श का ईमान बदनाम न हो
इमारत इबादत की ज़र्ज़र न हो ऐ मेरे खुदा
हर एक शख्श तेरा मुरीद हों. उसका इम्तहान न ले मेरे खुदा
बहुत ही शानदार रचना गुप्ता जी
ReplyDeleteशुक्रिया आपका तारीफ के लिए
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