Tuesday 22 December 2015

चंद रोज़ पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई - मुक्तक

१. 


चंद रोज़ पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई
नज़रों से नज़रें मिलीं, पर न कोई बात हुई

कछ हमारी धड़कनें बढ़ीं , कछ उनका दिल बेकरार हुआ
तमन्ना जवां हुई , नज़रों से दिल की बात हुई

२.

वो भी करार हुए हम भी बेकरार हुए
दिल से दिल कीं राह मिली , हमारी मुलाक़ात हुई

उनको हमारी मुहब्बत पर गुमान था
न जाने दुनियां को हमारी ये मुहब्बत न रास हुई

3.


प्यार के उन लम्हों को न भूलेंगे हम
चाँद की रोशनी में मिले थे हम

बाहों मे बाहें , लबों पर लब थे
उन एहसासों को यूं न भूलेंगे हम

4.


उनकी आँखों की बेकरारी को महसूस किया था हमने
उनकी साँसों की आहट को छुआ था हमने

दिल से दिल को मिली थी राह नयी
चंद रोज पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई


5.



शी एहसासे - मुहब्बत की बातें , कया बताएं हम
आँखों से दिल में उतर मुहब्बत का खुदा कर दे

उनके दिल की धड़कन ने उसे, खुद से किया रूबरू
होठों पर रोशन मुस्कान हुई , दिल से दिल की बात हुई


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