Monday, 14 December 2015

पर्वतों की ऊँचाइयों से पूछो ,मंजिलों का पता

पर्वतों की ऊँचाइयों से पूछो ,मंजिलों का पता


पर्वतों की ऊँचाइयों से पूछो ,मंजिलों का पता
किसी निर्धन से अभाव में जीने का मर्म पूछो

पंक्षियों से पूछो , आसमां तक पहुँचने का राज
चींटियों से पूछो, सफल और अनुशासित जीवन जीने का राज़

हाथी से पूछो, उसकी मदमस्त चाल का राज़
फूलों से पूछो, मुस्कुराते रहने का अंदाज़

घास से पूछो , दूसरों का बार – बार ग्रास हो जाने की व्यथा
भंवरों से पूछो,  मुस्कुराते रहने का राज़

कल – कल बहती सरिता से पूछो , अविराम बहते रहने का राज़

पुष्प से पूछो , खुशबू बिखेरने की कला
गिर – गिर कर उठते और सफल होते सवार से पूछो सफल होने की कथा

कल- कल कर गिरते झरनों से पूछो, गिरने और बहते रहने की कला

किसी अंधे व्यक्ति से पूछो , कुछ भी न देख पाने का गम
किसी शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति से पूछो न दौड़ पाने का गम

किसी अनाथ बच्चे से पूछो, सर पर माता – पिता  की छाया न होने की व्यथा
किसी बेघर व्यक्ति से पूछो, यहाँ – वहां भागते रहने और छत ढूंढते रहने की व्यथा


किसी पक्षी से पूछो , तूफां में आशियाने के बिखर जाने का गम
किसी पत्थर से पूछो, ठोकर खा – खाकर सिसकने का गम

किसी भटकते राही से पूछो, मंजिल न पाने की व्यथा
किसी बच्चे से पूछो, उसके रोने की वजह

किसी स्त्री से पूछो, उसके चीरहरण की व्यथा
किसी प्यासे से पूछो दो बूँद पानी की कीमत

किसी गिरते हुए राही से पूछो न उठ पाने का गम
 
किसी बदनसीब से पूछो, खुशियों के घर का पता

पर्वतों की ऊँचाइयों से पूछो ,मंजिलों का पता
किसी निर्धन से अभाव में जीने का मर्म पूछो

पंक्षियों से पूछो , आसमां तक पहुँचने का राज
चींटियों से पूछो, सफल और अनुशासित जीवन जीने का राज़


उपरोक्त सभी प्रश्नों के उत्तर , क्या जीवन का सत्य बयाँ नहीं करते ?
स्वयं से पूछकर देखो..................................




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