Tuesday 22 December 2015

आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते


आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते

आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते
अपने आशियाँ को प्यार की महक से सींचकर देखो

गुलशन फूलों के यूं ही खुशबू बिखेरा नहीं करते
फूलों के बीच . काँटों से भी रिश्ता बनाकर देखो

किस्मत के सितारे यूं ही रोशन हुआ नहीं करते
संकल्प को जीवन का उद्देश्य बनाकर देखो

यूं ही मुसीबतों से घबराना नहीं है तुमको
कोशिशों को अपने सफ़र का साथी बनाकर देखो

अभिनन्दन की राहें यूं ही रोशन हुआ नहीं करतीं
किसी पुण्य आत्मा को अपना गुरु बनाकर देखो

रोशन नहीं होते यूं ही खुशियों के बाज़ार
उस खुदा से पाक रिश्ता बनाकर देखो

यूं ही नहीं खिलती नन्हे चेहरे पर मुस्कान
नन्‍्ही सी रूह को खुदा का रूप समझकर देखो

रोशन यूं ही नहीं होती आदर्शों की फिजां
संकल्प की राह को जिन्दगी का मकसद बनाकर देखो

यूं ही नहीं होती संयम से जिन्दगी रोशन
स्वस्थ विचारों की पूँजी से खुद को सजाकर देखो

सम्मान की राहें यूं ही आसां से नहीं होती रोशन
कर्म की राह को अपनी जिन्दगी की धरोहर बनाकर देखो






1 comment:

  1. बहुत अच्छे विचार है आपके गुप्ता जी.

    ReplyDelete