Friday 4 December 2015

किस्सा न हो जाएँ ये खूबसूरत पल , चलो सहेज लें

किस्सा न हो जायें ये खूबसूरत पत्र, चल्नों सहेज लें

किस्सा न हो जायें ये खूबसूरत पल्,, चलो सहेज लें
किसी के सूने ऑगन में, खुशियों बिखेर दें

बीते हर पल्न को, खूबसूरत कर्म पर अर्पित करें
किसी के सूने आशियाँ को, नन्ही खुशियों से भरें

सामर्थ्य को सहेज कर , कल्याण हित समर्पित करें
किसी के खामोश जीवन में, खुशियों के रंग भरें

गुनगुनायें कुछ गीत, कुछ अर्थपूर्ण लेखन करें
गुमराह होती युवा ऊर्जा का , पथ--प्रदर्शित करें 

जिज्ञासाओं को न विराम दें, कुछ नए पथ निर्मित करें
हो जायें पथ--प्रदर्शक , औरों का जीवन संवारें

तटस्थ हो जीवन जियें, ऊर्जा को संचित करेँ
दे दिल्लासा औरों को , उनके कष्टों को हरें

आँधियों से न डरे, स्वयं को पुष्पित करें
आडम्बरों से परे हट, संस्कारों को सहेज लें

स्वयं को कर अलौकिक , राष्ट्र पथ पर बढ़ें
किसी की दोजख जिन्दगी को , जन्नत सा रोशन करें

अनुपम आदर्शों से हो सुशोभित , स्वयं को गर्वित करें
चीर कर तम को इस जहां से , कल्याण हित कर्म करें

निकृष्ट कोई कर्म न हो , सत्मार्ग पर बढ़ते चलें
पुष्पित हो सारी भावनायें, खिल जाएँ सारी शुभकामनायें

किस्सा न हो जायें ये खूबसूरत पल, चलो सहेज लें
किसी के सूने आँगन मैं, खुशियाँ बिखेर दें







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