Thursday, 25 December 2014

अल्फाजों को अपनी इबादत का बना लो हिस्सा


 

अल्फाजों को अपनी इबादत का बना लो हिस्सा
 
जिन्दगी यूँ ही हो जाए किस्सा
 
खुदा के अरमानों को अपने अरमां समझो
 
खुदा के करम को बना लो अपनी जिन्दगी का हिस्सा
 

फरेब की अपनी कोई जन्नत नहीं होती
 
जन्नत इंसानियत के घर का पता होती है
 
फरेब का अपना कोई आसमां नहीं होता

 

सफल जो होना है तो समय की महिमा जानो
 
सफल जो होना है तो समय को अपना मानो
 
समय जो रूठ जाएगा , सब पीछे रह जाएगा

समय को सर्वश्रेष्ठ समझा , तो सब कुछ मिल जाएगा
 

बादलों को उड़ने से कोई रोक नहीं सकता
 
समंदर की गहराई को कोई नाप नहीं सकता
 
आसमां के सितारों को कोई गिन नहीं सकता
 
सूरज की शख्सियत को कोई कम नहीं कर सकता

द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
 
पुस्तकालय अध्यक्ष
 
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

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