पथिक
तुम इतने विव्हल क्यों ?
पथिक
तुम
इतने
विव्हल क्यों ?
क्या
सूझ नहीं रहा
मार्ग
तुमको ?
जीवन
की जटिलतायें ,
यात्रा
की यातनायें ,
अँधेरे
का भय ,
अधूरे
सपनों का जाल ,
क्या
ये सब तुझे
भयभीत
करते हैं ?
मैं
पथिक हूँ
मुझे
मार्गों का भय कैसा ?
मुझे
अँधेरे का डर कैसा ?
उपर्युक्त
सभी विषय
मुझे
व्याकुल नहीं करते
मेरी
निगाह मंजिल पर है
केवल
मंजिल पर
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