Thursday, 25 December 2014

पथिक तुम इतने विव्हल क्यों ?



पथिक तुम इतने विव्हल क्यों ?


पथिक तुम 
 
इतने विव्हल क्यों ?

क्या सूझ नहीं रहा 
 
मार्ग तुमको ?

जीवन की जटिलतायें ,

यात्रा की यातनायें ,

अँधेरे का भय ,

अधूरे सपनों का जाल
 

क्या ये सब तुझे 
 
भयभीत करते हैं ?


मैं पथिक हूँ

मुझे मार्गों का भय कैसा ?

मुझे अँधेरे का डर कैसा ?

उपर्युक्त सभी विषय 
 
मुझे व्याकुल नहीं करते 
 
मेरी निगाह मंजिल पर है
 
केवल मंजिल पर




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