Wednesday 3 December 2014

स्वयं को तुम सम्मान दो, हौसलों को उड़ान दो

स्वयं को तुम सम्मान दो

स्वयं को तुम सम्मान दो
हौसलों को उड़ान दो
हिम्मत जो हार जाओगे
सब कुछ तुम गँवाओगे

पराजय का भाव छोड़ दो
विजय को तुम सम्मान दो
मुश्किलों से तुम न डरो
अटल रहो , बढ़े चलो

ऊर्जा को परवान दो
दुर्बलता को त्याग दो
कल्पना में मत जियो
सपनों को उड़ान दो

कामना में मत फंसो
संस्कारों पर ध्यान दो
चंचलता को त्याग दो
शांति का पैगाम दो

लहरों से मत डरो
 तूफ़ान को चीर आगे बढ़ो
तकरार पर न ध्यान दो
प्रेम का पैगाम दो

अविलम्ब तुम बढ़े चलो
समय को अपने बस में करो
पुष्प से महके रहो
खुशबू फैलाते चलो

उस प्रभु की शरण में रहो
उसको तुम सम्मान दो
बुराइयों से तुम बचे रहो
सच का तुम पैगाम दो

हिमालय से तुम डटे रहो
आँधियों से मत डरो
डगमगाना छोड़कर
मंजिल का पीछा करो

लिखो स्वयं के भाग्य को
किस्मत के सहारे मत रहो
स्वयं को स्वाभिमान दो

स्वयं को तुम सम्मान दो 

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