वक्त
के
दामन
से
दो
पल
चुरा
के
दिखा
वक्त
के
दामन
से
दो
पल
चुरा
के
दिखा
हो
सके
तो
वक़्त
को
अपना
बना
कर
के
दिखा
बादलों
की
बारिश
से
दो
बूँद
चुरा
कर
के
दिखा
हो
सकत
तो
किसी
के
दुःख
को
अपना
बना
कर
के
दिखा
अपने
भीतर
की
पीर
को
भुला
कर
के
दिखा
अनुपम
हो
तेरा
चरित्र
ऐसा
कुछ
कर
के
दिखा
किसी
के
अंधकारपूर्ण
जीवन
में
रौशनी
कर
के
दिखा
प्रकृति
के
आँचल
में
दो
फूल
खिला
कर
के
दिखा
किसी
प्यासे
को
दो
बूँद
पानी
पिला
कर
के
दिखा
किसी
की
खामोश
जिन्दगी
में
रौशनी
कर
के
दिखा
करें
तुझसे
सब
प्रेम
जग
में
,
ऐसा
कुछ
कर
के
दिखा
पालने
के
बालपन
को
दो
पल
के
लिये
हंसाकर
के
दिखा
किसी
भटकते
राही
को
राह
बतलाकर
के
दिखा
किसी
की
स्याह
रातों
में
रौशनी
कर
के
दिखा
आधुनिकता
के
माया
जाल
से
खुद
को
बचाकर
के
दिखा
संस्कृति
और
संस्कारों
की
गंगा
बहाकर
के
दिखा
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