Wednesday 24 December 2014

वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा


वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा

 

वक्त के दामन से दो पल चुरा के दिखा
 
हो सके तो वक़्त को अपना बना कर के दिखा
 

बादलों की बारिश से दो बूँद चुरा कर के दिखा
 
हो सकत तो किसी के दुःख को अपना बना कर के दिखा
 

अपने भीतर की पीर को भुला कर के दिखा
 
अनुपम हो तेरा चरित्र ऐसा कुछ कर के दिखा
 

किसी के अंधकारपूर्ण जीवन में रौशनी कर के दिखा
 
प्रकृति के आँचल में दो फूल खिला कर के दिखा
 

किसी प्यासे को दो बूँद पानी पिला कर के दिखा
 
किसी की खामोश जिन्दगी में रौशनी कर के दिखा
 

करें तुझसे सब प्रेम जग में , ऐसा कुछ कर के दिखा

पालने के बालपन को दो पल के लिये हंसाकर के दिखा
 

किसी भटकते राही को राह बतलाकर के दिखा
 
किसी की स्याह रातों में रौशनी कर के दिखा
 

आधुनिकता के माया जाल से खुद को बचाकर के दिखा
 
संस्कृति और संस्कारों की गंगा बहाकर के दिखा


No comments:

Post a Comment