Tuesday 2 December 2014

गद्दार है वह जिसके दिल में देश प्रेम का जज्बा नहीं


गद्दार है वह जिसके दिल में


गद्दार है वह जिसके दिल में
देश प्रेम का जज्बा नहीं 
 
इंसान नहीं है वह
जिसके दिल में इंसानियत नहीं 
 
व्यर्थ जी रहा है वह
जिसको खुदा पर एतबार नहीं 
 
वह जीना भी क्या जीना
जहां माँ – बाप से लगाव नहीं

ख्वाहिशों के समंदर में
कहीं खो न जाना तुम 
 
कहीं गुमराह को
खुद को न लजाना तुम


चाहतों के दरिया का
कोई छोर नहीं होता 
 
बेवजह चाहतों के समंदर में
कहीं गम हो न जाना तुम


अजनबियों से यूं ही
दिल न लगाना तुम 
 
किसी अजनबी को अपना
यूं ही न बनाना तुम

अजब किस्सों से रोज ही
रूबरू हो रहे हैं हम लोग 
 
किसी की मीठी – मीठी बातों में
फंस न जाना तुम


अफसाना न हो जाए जिन्दगी
कुछ ऐसा कर दिखाना तुम 
 
अफ़सोस न हो तुमको
ऐसा कुछ कर दिखाना तुम

अरमानों की चाह में
खुद को न भटकाना तुम 
 
आगोश उस खुदा की नसीब हो
ऐसा कुछ कर दिखाना तुम


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