Thursday, 25 December 2014

बंद लिफाफों में न करो कैद जिन्दगी को



बंद लिफाफों में न करो कैद 

जिन्दगी को


बंद लिफाफों में न करो कैद 

जिन्दगी  को 
 
आसमां तुम्हारा है ,


उड़ान भरकर देखो



जीवन का उत्कर्ष , साहस , शक्ति ,
  
उमंग का एहसास 
 
इसे व्यर्थ न गंवाओ तुम 
 
सपने तुम्हारे अपने हैं


उड़ान भरकर देखो



जीवन का उत्कर्ष , चांदनी सी 

शीतलता , वायु सा वेग और जल 

सी निश्छलता
 
क्यों फिर रहे हो आवारा बादलों से
 
गगन विशाल है


उड़ान भरकर  देखो



अनमोल होती है निंदिया , यूं ही 

जाग – जाग रातें न बिताओ तुम 
 
सपनों का गगन व्यापक है


उड़ान भरकर देखो



क्यों दुःख के उस पार , दुःख को 

खोज रहे हो तुम 
 
स्वयं के अंतर्मन को पंख दो ,



 उड़ान भरकर देखो



अपने किरदार से परिचय क्यों नहीं 

हो रहा तुम्हारा 
 
स्वयं को सजाओ, संवारो


उड़ान भरकर देखो



तुम्हें अपनी मंजिल का क्यों हो

रहा भान नहीं 
 
जीवन की सार्थकता , सत्कर्म से 

परिपूर्ण आसमां में निहित है


उड़ान  भरकर देखो




No comments:

Post a Comment