Sunday, 28 December 2014

खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन


खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन

 

खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन
 
खिले जो चेहरे नजारों के , दिल हुआ रोशन

 

पाकीजगी उनकी भा गयी हमको , खिला हुस्न का चमन
 
एक निगाह रोशन कर गयी रातें मेरी , हर एक पल जन्नत सा हुआ रोशन

 

तोहफा मुहब्बत का अता कर मुझको मेरे खुदा
 
तेरी एक निगाह से , मेरी जिन्दगी हुई रोशन

 

काबिल समझ कर मुझको , अपनी पनाह में ले मुझे मेरे खुदा
 
तेरी रहमत जो हो जाए , जन्नत सा रोशन हो मेरा चमन


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