खिले
जो
फूल
बहारों
के
,
चमन
हुआ
रोशन
खिले
जो
फूल
बहारों
के
,
चमन
हुआ
रोशन
खिले
जो
चेहरे
नजारों
के
,
दिल
हुआ
रोशन
पाकीजगी
उनकी
भा
गयी
हमको
,
खिला
हुस्न
का
चमन
एक
निगाह
रोशन
कर
गयी
रातें
मेरी
,
हर
एक
पल
जन्नत
सा
हुआ
रोशन
तोहफा
मुहब्बत
का
अता
कर
मुझको
ऐ
मेरे
खुदा
तेरी
एक
निगाह
से
,
मेरी
जिन्दगी
हुई
रोशन
काबिल
समझ
कर
मुझको
,
अपनी
पनाह
में
ले
मुझे
मेरे
खुदा
तेरी
रहमत
जो
हो
जाए
,
जन्नत
सा
रोशन
हो
मेरा
चमन
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