फिर
किसी
मोड़
पर
वो
मिल
जाएँ
कहीं
फिर
किसी
मोड़
पर
वो
मिल
जाएँ
कहीं
कोई
तो
ऎसी
सुबह
हो
खुदाया
मेरे
जख्म
दिल
के
नासूर
न
हो
जाएँ
कहीं
उसके
दीदार
की
कोई
तो
सुबह
हो
खुदाया
मेरे
रातों
की
नींद
,
दिल
का
चैन
अब
नहीं
मेरे
उसका
पहलू
नसीब
हो
मुझको
खुदाया
मेरे
उसकी
कमसिन
अदाओं
का
हुआ
मुझ
पर
जादू
उसकी
बाहों
का
मुझे
सहारा
मिले
खुदाया
मेरे
उसकी
आँखों
में
डूबने
का
मन
करता
है
मेरा
कुछ
तो
मेरी
खबर
कर
खुदाया
मेरे
कहीं
किसी
मोड़
पर
जो
वो
मिल
जाए
मुझे
कुछ
ऐसा
तो
करम
कर
खुदाया
मेरे
मैं
उसके
दीदार
की
आस
लिये
ज़िंदा
हूँ
क़यामत
हो
उसका
दीदार
हो
जाए
खुदाया
मेरे
फिर
किसी
मोड़
पर
वो
मिल
जाएँ
कहीं
कोई
तो
ऎसी
सुबह
हो
खुदाया
मेरे
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