Tuesday 2 December 2014

रक्त को उबाल दो


रक्त को उबाल दो


रक्त को उबाल दो
देश हित वार दो 
 
पौरुष से खुद को सजा
देश पर निसार दो 
 
चंद्रहास हाथ ले
दुश्मनों के हृदय चीर दो 
 
देश प्रेम हित जियो
देश के लिए मरो

यूं ही विलाप मत करो
देश पथ पर चलो 
 
मुसीबतों से न डरो
बुलंद खुद को करो

आँधियों का डर छोड़कर
देश हित तुम बढ़ो 
 
देश को समझो सर्वोपरि
देश पर मिटे चलो


उम्मीद तुम न छोड़ना
देश से दिल जोड़ना 
 
कुर्बान हों हम देश पर
ऐसे विचार तुम धरो 
 
कहानी न हो ये जिन्दगी
शहीदों की राह पर चलो 
 
ख्वाहिशों की राह छोड़कर
प्यार देश से करो


नौजवानों आगे बढ़
देश पर मिटे चलो 
 
दुश्मनों को पस्त तुम करो
नामुमकिन हर ख़्वाब तुम करो 
 
देश पर जो मर मिटोगे
तुम शहीदों में होगा नाम 
 
जिन्दगी हो जायेगी पाकीजा तेरी
करेंगे तुझे सब सलाम


No comments:

Post a Comment