किसी
की
किस्मत
संवार
के
देखो
किसी
की
किस्मत
संवार
के
देखो
किसी
रोते
हुए
को
चुप
करा
के
देखो
यूं
ही
नहीं
रोशन
होती
जिन्दगी
किसी
के
गम
में
आंसू
बहा
के
देखो
दो
फूल
खुशबू
में
खिला
के
देखो
किसी
के
आँचल
को
सजा
के
देखो
यूं
ही
मेहरबान
खुदा
नहीं
होता
राहे
इंसानियत
पर
दो
कदम
जा
के
तो
देखो
किसी
भूखे
को
रोटी
खिलाकर
तो
देखो
किसी
निर्धन
का
सहारा
बनकर
तो
देखो
यूं
ही
नहीं
होता
अभिनन्दन
किसी
का
किसी
भटके
को
राहें
दिखाकर
तो
देखो
धरती
को
चाँद
आ
पावन
बनाकर
तो
देखो
किसी
बदसूरत
से
दिल
लगाकर
तो
देखो
यूं
ही
नहीं
करेंगे
लोग
तेरा
अभिनन्दन
किसी
गिरे
हुए
राही
को
उठाकर
तो
देखो
किसी
रूठे
बच्चे
को
मनाकर
तो
देखो
किसी
महिला
की
आबरू
बचाकर
तो
देखो
यूं
ही
नहीं
करेंगे
लोग
तेरा
सम्मान
संस्कारों
वा
संस्कृति
की
गंगा
बहाकर
तो
देखो
No comments:
Post a Comment