Saturday, 27 December 2014

राह नीर की छोड़


राह नीर की छोड़
 

राह नीर की छोड़
 
बनो तुम धीर जगत में
 
राह पीर की छोड़
 
बनो तुम वीर जगत में
 

दुर्बलता को छोड़
 
बनो तुम कर्मवीर जगत में
 
कायरता को छोड़
 
बनो तुम सज्जन जगत  

में

छोड़ बंधन का मोह
 
बनो तुम सन्यासी
 
विकारों की राह छोड़

बनो तुम सामाजिक
 

संस्कारों से करो मोह
 
बनो तुम संस्कारी
 
अहंकार का छोड़ मोह
 
बनो तुम स्वाभिमानी
 

छोड़ व्यर्थ का मौन
 
बनो तुम सुवक्ता
 
राह घृणा की छोड़
 
वरो तुम मानवता
 

राह जोश की छोड़
 
करो तुम काम होश में
 
छोड़ काँटों का डर
 
पुष्प बन खिलो जगत में
 

राह शत्रुता की छोड़
 
बनाओ मित्र जगत में
 
पकड़ कर्म की राह
 
बनो विख्यात जगत में


राह नीर की छोड़
 
बनो तुम धीर जगत में
 
राह पीर की छोड़
 
बनो तुम वीर जगत में


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