राह
नीर
की
छोड़
राह
नीर
की
छोड़
बनो
तुम
धीर
जगत
में
राह
पीर
की
छोड़
बनो
तुम
वीर
जगत
में
दुर्बलता
को
छोड़
बनो
तुम
कर्मवीर
जगत
में
कायरता
को
छोड़
बनो
तुम
सज्जन
जगत
में
छोड़
बंधन
का
मोह
बनो
तुम
सन्यासी
विकारों
की
राह
छोड़
बनो
तुम
सामाजिक
संस्कारों
से
करो
मोह
बनो
तुम
संस्कारी
अहंकार
का
छोड़
मोह
बनो
तुम
स्वाभिमानी
छोड़
व्यर्थ
का
मौन
बनो
तुम
सुवक्ता
राह
घृणा
की
छोड़
वरो
तुम
मानवता
राह
जोश
की
छोड़
करो
तुम
काम
होश
में
छोड़
काँटों
का
डर
पुष्प
बन
खिलो
जगत
में
राह
शत्रुता
की
छोड़
बनाओ
मित्र
जगत
में
पकड़
कर्म
की
राह
बनो
विख्यात
जगत
में
राह
नीर
की
छोड़
बनो
तुम
धीर
जगत
में
राह
पीर
की
छोड़
बनो
तुम
वीर
जगत
में
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