Sunday, 28 December 2014

अपना जीवन पराया जीवन


अपना जीवन पराया जीवन

 

अपना जीवन पराया जीवन
 
अस्तित्व को टटोलता जीवन
 
क्या नश्वर क्या अनश्वर
 
क्या है मेरा , क्या उसका

 
जीवन प्रेम या स्वयं का परिचय

जीवन क्यूं करता हर पल अभिनय
 
क्या है जीवन की परिभाषा
 
जीवन , जीवन की अभिलाषा

 
गर्भ में पलता जीवन
 
कलि से फूल बनता जीवन
 
मुसाफिर सा , मंजिल की
 
टोह में बढ़ता जीवन

 
चंद चावल के दाने
 
पंक्षियों का बनते जीवन
 
प्रकृति के उतार चढ़ाव से
 
स्वयं को संजोता जीवन

 
कभी पराजित सा , कभी अभिमानी सा
 
स्वयं को प्रेरित करता जीवन

माँ की लोरियों में
 
वात्सल्य को खोजता जीवन

 
कहीं मान अपमान से परे
 
स्वयं को संयमित करता जीवन
 
कहीं सरोवर में कमल सा खिलता जीवन
 
कहीं स्वयं को स्वयं पर बोझ समझता जीवन

 
कहीं माँ के आँचल तले
 
स्वयं को सुरक्षित पाता जीवन
 
कहीं पिता के पुरुषार्थ तले
 
स्वयं को आत्म निर्भर करता जीवन

 
कहीं प्रेयसी के अनुराग में
  
दुनिया को भूलता जीवन
 
कहीं ईश्वर के चरणों में
  
स्वयं को खोजता जीवन


 
कहीं उल्लास में झूमता जीवन
 
कहीं शोक में उद्दिग्न जीवन
 
अपना जीवन पराया जीवन
  
अस्तित्व को टटोलता जीवन
 


गर निराशा ,आशा पर भारी पड़ने लगे


गर निराशा , आशा पर भारी पड़ने लगे


गर निराशा ,आशा पर भारी पड़ने लगे
 
जब उचितअनुचित का भाव् मन से ओझल होने लगे
 
जब आस्तिकनास्तिक का बोध हो
 
समझो मानव , निराशा के अंधे कुँए में गोते लगा रहा है

 

जब प्रभु भक्ति से मन खिन्न होने लगे
 
जब उसकी महिमा पर संदेह होने लगे
 
जब उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न उठने लगें
 
समझो मानव सभ्यता अपने पतन की और अग्रसर है

खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन


खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन

 

खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन
 
खिले जो चेहरे नजारों के , दिल हुआ रोशन

 

पाकीजगी उनकी भा गयी हमको , खिला हुस्न का चमन
 
एक निगाह रोशन कर गयी रातें मेरी , हर एक पल जन्नत सा हुआ रोशन

 

तोहफा मुहब्बत का अता कर मुझको मेरे खुदा
 
तेरी एक निगाह से , मेरी जिन्दगी हुई रोशन

 

काबिल समझ कर मुझको , अपनी पनाह में ले मुझे मेरे खुदा
 
तेरी रहमत जो हो जाए , जन्नत सा रोशन हो मेरा चमन


कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी


कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
 

कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी

चरण कमल में ले लो मुझको , पावन हो फुलवारी
 

नंदनंदन मुझे चरण में ले लो , हो जाऊं बलिहारी
 
निर्धन पर हो दया प्रभु तेरी , दीनन के हितकारी
 

अहंकार से मुझे बचाना . रहूँ मैं चरण तुम्हारी
 
चन्दा सा तुम मुझे पावन कर दो , मैं तुम पर बलिहारी
 

मातपिता को शीश नवायें , ऎसी हो नियति हमारी
 
धर्म मार्ग पर बढ़ता जाऊं , कृपा करो गिरिधारी


सत्कर्म राह दिखलाओ कान्हा , कृपा करो बनवारी
 
सरिता सा मुझे पावन कर दो , हे दीनन हितकारी
 

माया मोह से मुक्त करो प्रभु , हे प्रभु कृष्ण मुरारी
 
तेरी महिमा के गुण गाऊँ , हे नटनागर हे गिरिधारी
 

तेरा रूप मनोहर कान्हा , हे ग्वालन हितकारी
 
वंशी की धुन सभी को भाये , हे मनमोहन हे गिरिधारी
 

भक्ति मार्ग पर ले लो मुझको , तुम पर मैं बलिहारी
 
जीवन पावन कर दो मेरा , हे प्रभु कृष्ण मुरारी
 

मोक्ष मार्ग पर लाओ मुझको. मैं तुम पर बलिहारी
 
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी