बात 1990 की है जब मैंने जबलपुर के एक कंप्यूटर सेंटर "" ZAPSON COMPUTER CENTRE " को डाटा
एंट्री सीखने के लिए ज्वाइन किया | मेरे इंस्ट्रक्टर श्री सेठी जी थे | करीब एक माह का कोर्स था जिसे मैंने पूरी लगन के
साथ पूरा किया | इसके बाद मेरी माँ के कहने पर मैंने " SIX MONTH DIPLOMA COURSE " भी इसी सेंटर
से शुरू किया | अभी करीब तीन माह ही बीते थे कि एक दिन अचानक मुझे सेठी जी ने कहा कि कल से तुम्हें
क्लासेज लेनी हैं | यह सुन मैं एक दम से घबरा गया | मैंने कहा " सर जी आप मजाक कर रहे हैं क्या ?" उन्होंने
कहा " मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ | I AM SERIOUS " यह सुन मेरी हालत और भी ज्यादा खराब हो गयी | मैं
उनके हाथ - पैर पकड़कर कहने लगा कि यह मुझसे नहीं होगा |
इस पर उन्होंने कहा " मिस्टर गुप्ता मुझे पता है कि आप सक्षम हैं और आसानी से पढ़ा लेंगे | फिर
मेरा अगला प्रश्न था कि मुझे किनको पढ़ाना है ? इस पर बड़ी विनम्रता से उन्होंने कहा कि आपको तीन आफ्रिकन
स्टूडेंट्स को पढ़ाना है | यह सुनते ही मेरी हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी | मैंने इससे पहले कभी अंग्रेजी
को बोलचाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया था इसीलिए मैं डर रहा था कि किस तरह से अफ्रीकन स्टूडेंट्स को
पढ़ाऊंगा | किन्तु सेठी जी ने मुझे मेरे भीतर के डर को कम किया और कहा कि मिस्टर गुप्ता आपको अंग्रेजी आती
है किन्तु आप बोलते नहीं हैं इसीलिए थोड़ा डर रहे हैं | मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप आसानी से पढ़ा लेंगे |
उस दिन के बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनके द्वारा जगाये गए आत्मविश्वास के दम पर मैं आगे
बढ़ता रहा | बाद में वर्ष 2003 में मैंने अंग्रेजी साहित्य से स्नातकोत्तर की उपाधि पूरी की | मैं आज भी श्री सेठी जी
का अहसानमंद हूँ जिन्होंने मुझमें विश्वास दिखाया | मैं उन्हें आज भी दिल की गहराइयों से उनका वंदन करता हूँ |
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