Thursday, 24 June 2021

मेरी पहली कविता की प्रथम चार पंक्तियाँ - संस्मरण

 बात  2005 के मई माह की है शायद कल से हमारा ग्रीष्म अवकाश आरम्भ होना था | मैंने अपने पुस्तकालय में बैठे - 

बैठे यूं ही " सत्य " विषय  पर चार पंक्तिया लिखीं | इसी बीच हमारे ही विद्यालय के प्राथमिक शिक्षक श्री लालजी कोल 

का पुस्तकालय में  आगमन हुआ जिनका हिंदी भाषा का ज्ञान काफी अच्छा है | मैंने अपनी इस पहली रचना " सत्य" 

की चार पंक्तियाँ उन्हें दिखायीं | वे उन पंक्तियों को पढ़कर  बहुत ही प्रभावित हुए और कहा " बहुत ही सुन्दर गुप्ता 

जी  इसे आप पूरा कीजिये और आगे भी इसी तरह से लिखते रहिये " |

                       उनके द्वारा कहे गए शब्दों को सुनकर मैंने स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया और अनवरत लिखते 

रहने की प्रेरणा ने मेरे भीतर ऊर्जा का संचार कर दिया | आज मुझे  लिखते हुए करीब 17 वर्ष हो गए हैं | अभी तक 

मैंने  करीब 1200 कवितायें, गीत ग़ज़ल , भजन , शायरी , विचार  और लेख  ब्लॉग के माध्यम से प्रकाशित किये हैं | 

जिनके माध्यम से मुझे अपार स्नेह की प्राप्ति हुई है | मैं श्री लालजी कोल जी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे प्रेरित किया |

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