Saturday, 12 June 2021

विचारों की गंगा बहाओ तुम भी

 विचारों में गंगा बहाओ तुम भी 


विचारों की गंगा बहाओ तुम भी 

गुलशन में कुछ पुष्प खिलाओ तुम भी 


चीर दो विचारों के तम को 

गुलशन में उजियारा फैलाओ तुम भी 


रोशन कर दो विचारों का समंदर  , रुकना नहीं 

विचारों की गंगा बहाओ तुम  भी 


शायरी और ग़ज़ल का कारवाँ भी  हो रोशन 

गुलशन में ग़ालिब बन छा जाओ तुम  भी 


मधुशाला जैसे विषयों पर करो एक कारवाँ रोशन 

गुलशन में बच्चन बन निखर जाओ तुम भी 


रचना की सभी विधाओं में होना पारंगत तुम 

गुलशन में कभी गीत कभी ग़ज़ल हो जाओ तुम भी 


कलम को विचारों की अनवरत , विचार धारा का हिस्सा बना लो 

गुलशन में विचारों का कारवाँ सजाओ तुम भी 


लिखो कुछ ऐसा , छूट जाएँ दुःख के बादल 

गुलशन में गम दूसरों के , चुराओ तुम भी 


रोशन करो अपने विचारों को , मानवीय विचारों से पुष्पित 

गुलशन में इंसानियत के पुष्प खिलाओ तुम  भी 


चंद अश'आर लिख दो , उस खुदा की इबादत में भी     

गुलशन में खुदा के नूर हो जाओ तुम भी 

 


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