Sunday, 13 June 2021

क्यूं आये हैं , इस धरती पर - भाग - एक

क्यूं आये हैं , इस धरती पर

क्या करना है, क्या पाना है 


भागती  - दौड़ती इस जिन्दगी में 

कहाँ रुकना है, कहाँ ठहर जाना है 


चाहतों का अंबार सजा है 

अभिलाषाओं का बाजार सजा है 


जाना कहाँ , किधर है हमको 

मंजिल का मार्ग घना है  


क्या पूछें , क्या किसे बताएं 

जीवन का आधार कहाँ है 


क्या सोचकर भेजा उसने 

इसका हमको पता कहाँ है 


क्या उद्देश्य है इस जीवन का 

जाना कहाँ , कहाँ रुकना है 


पीड़ा का अंबार सजा है 

अंतर्मन में कोहरा घना है 


बूझ नहीं पाया ये मानव 

जीवन ने क्या सत्य बुना है 


बिखरा  - बिखरा मानव का जीवन 

जीवन में अन्धकार घना है 


क्यूं आये हैं , इस धरती पर

क्या करना है, क्या पाना है 


भागती  - दौड़ती इस जिन्दगी में 

कहाँ रुकना है, कहाँ ठहर जाना है 




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