क्यूं आये हैं , इस धरती पर
क्या करना है, क्या पाना है
भागती - दौड़ती इस जिन्दगी में
कहाँ रुकना है, कहाँ ठहर जाना है
चाहतों का अंबार सजा है
अभिलाषाओं का बाजार सजा है
जाना कहाँ , किधर है हमको
मंजिल का मार्ग घना है
क्या पूछें , क्या किसे बताएं
जीवन का आधार कहाँ है
क्या सोचकर भेजा उसने
इसका हमको पता कहाँ है
क्या उद्देश्य है इस जीवन का
जाना कहाँ , कहाँ रुकना है
पीड़ा का अंबार सजा है
अंतर्मन में कोहरा घना है
बूझ नहीं पाया ये मानव
जीवन ने क्या सत्य बुना है
बिखरा - बिखरा मानव का जीवन
जीवन में अन्धकार घना है
क्यूं आये हैं , इस धरती पर
क्या करना है, क्या पाना है
भागती - दौड़ती इस जिन्दगी में
कहाँ रुकना है, कहाँ ठहर जाना है
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