Tuesday, 8 June 2021

मुक्तक

१.



कोशिशों की नाव हम समंदर में , क्यों
चलाया नहीं करते

मंजिल की राह में प्रयासों को हम
अपना, हमसफ़र क्यों बनाया नहीं करते




२.


क्यों हम किसी के काँधे का , सहारा
लिए चलें

क्यों न अपनी कोशिशों को , अपना
हमसफ़र किये चलें


3.

वक़्त के इशारे को जब , समझने
लगोगे तुम

रोशन तेरा जहाँ हो जाएगा, उस खुदा
का तुझ पर होगा करम



4.

वक़्त को अपने प्रयासों का हमसफ़र बना के
तो देख

मिलेगी मंजिल तुझको, नसीब होगी तुझे हर
एक रोज एक नई सुबह

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