तारों , सितारों में तुझे ढूंढता
हूँ
तारों , सितारों में तुझे ढूंढता
हूँ
पवन की बयारों में तुझे ढूंढता हूँ |
सूना है तू बसता है, हर एक के दिल
में
गली, मोहल्ले, चौराहों पर तुझे
ढूंढता हूँ |
सुना है संवेदनाओं के समंदर में है ,
तेरा ठिकाना
चीरहरण की कथाओं में , तुझे ढूंढता
हूँ |
कहीं दिल के कोने में, है तेरी कुटिया
|
मंदिर, मस्ज़िद, चर्च में तुझे
ढूंढता हूँ |
नन्ही परी कूड़े के ढेर का हिस्सा हो
गयी
माँ के मातृत्व में तुझे ढूंढता हूँ
|
सुना है सलिला के कल - कल में बसता है तू
प्रकृति के कण - कण में तुझे ढूंढता हूँ |
लाखों घर हुए सूने, हज़ारों गोद हो
गयीं सूनी
कोरोना की इस भीषण त्रासदी में तुझे
ढूंढता हूँ |
उसने पुकारा तुझे बार – बार , फिर
भी नोच ली गयीं उसकी आंतें
उस निर्भय की चीखों, उन दरिंदों की
भयावह आँखों में तुझे ढूंढता हूँ |
लहरों में समा गयी थी , वो
मुस्कराते - मुस्कराते
सामाजिकता में, रिश्तों की भयावहता
में तुझे ढूंढता हूँ |
सह नहीं पाया वो आघात, अपनी बेटी के
दुःख का
दहेज़ के लालची चरित्रों की निकृष्ट
सोच में तुझे ढूंढता हूँ |
तारों , सितारों में तुझे ढूंढता
हूँ
पवन की बयारों में तुझे ढूंढता हूँ |
सूना है तू बसता है, हर एक के दिल
में
गली, मोहल्ले, चौराहों पर तुझे
ढूंढता हूँ |
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