1.
जब तुम्हारे प्रयास , सफल होने लगें
जब तुम्हारी कोशिशों को, दिशा प्राप्त होने लगे
जब तुम सफ़लता की , सीढियां चढ़ने लगो
तब समझना , मंजिल तुम्हारे कदम चूमने लगी है ||
2.
जब तुम्हारा अंतर्मन , सच और झूठ का अंतर समझने लगे
जब तुम्हारी अंतरात्मा सत्य का वरण करने लगे
जब तुम्हारे नेत्र निश्छल हो जाएँ
तब समझना तुम पूर्ण मानव बनने की दिशा में अग्रसर हो ||
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