Tuesday, 6 July 2021

बंदिशों में रहकर ही

 बंदिशों में रहकर ही

 

बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन

बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन |

 

जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन

संस्कारों में बंध कर ही , संवरता है जीवन |

 

क्यूं कर बिखर जाएँ, आस के मोती

बन्धनों में रहकर ही , निखरता है जीवन |

 

बंदिशें जो आत्ममंथन की राह मजबूत करें   

बंदिशें जो न हों , तो तड़पता है जीवन |

 

बंदिशें जो ख्वाहिशों के समंदर में पतवार बन उतरें

बंदिशें जो दर्द में मरहम हो जाएँ , संवर जाए जीवन |

 

बंदिशें जो खुद से खुद का परिचय कराएं

बंदिशें जो खुद से खुद का परिचय करा , कर दें रोशन |

 

बंदिशें जो कदम दर कदम उन्नति की राह निखारें

बंदिशें जो जीवन में सफ़लता का एहसास कराएं |


बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन

बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन |

 

जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन

संस्कारों में बंध कर ही , संवरता है जीवन | |


 

 

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