बंदिशों में रहकर ही
बंदिशों
में रहकर ही , संवरता है जीवन
बंदिशों
के आँचल तले , निखरता है जीवन |
जो
चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन
संस्कारों
में बंध कर ही , संवरता है जीवन |
क्यूं
कर बिखर जाएँ, आस के मोती
बन्धनों
में रहकर ही , निखरता है जीवन |
बंदिशें
जो आत्ममंथन की राह मजबूत करें
बंदिशें
जो न हों , तो तड़पता है जीवन |
बंदिशें
जो ख्वाहिशों के समंदर में पतवार बन उतरें
बंदिशें
जो दर्द में मरहम हो जाएँ , संवर जाए जीवन |
बंदिशें
जो खुद से खुद का परिचय कराएं
बंदिशें
जो खुद से खुद का परिचय करा , कर दें रोशन |
बंदिशें
जो कदम दर कदम उन्नति की राह निखारें
बंदिशें जो जीवन में सफ़लता का एहसास कराएं |
बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन
बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन |
जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन
संस्कारों में बंध कर ही , संवरता है जीवन | |
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