Wednesday, 21 July 2021

हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है

 हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है 


हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है 

कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |


कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल 

कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है |


इश्क़ में गुजरी चंद यादें, तो कभी चंद लम्हे 

हमने उनका रूठना , और हमारा उनको मनाना देखा है |


तरस रहे हैं सभी, उस आसमां की एक पल छाँव के लिए 

हमने नवोदित रचनाकारों की कलम को, घायल होते देखा है |


हाथ में फूलदान लिए , गाड़ियों के पीछे भागता बचपन

हमने गरीबी का अजब आलम, अजब मंज़र देखा है |


उसकी पीठ से बंधा बच्चा, और सिर पर ईटों का अंबार 

हमने दो वक़्त की रोटी की जद्दोजहद का , भयावह मंज़र देखा है |


दो वक़्त की रोटी को तरसते , लाखों परिवार 

हमने अमीरों की पार्टी में , अन्न की बर्बादी का अजब मंज़र देखा है |


बाबाओं का पाखण्ड , और उनका अनैतिक आचरण 

हमने बाबाओं को कभी नेता  , तो कभी  बिजनेसमैन होते देखा है |


नेताओं का वादा करना , और मुकर जाना 

हमने नेताओं की हरकतों का , अजब मंज़र देखा है |


हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है 

कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |


कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल 

कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है ||


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