हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है
हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है
कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |
कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल
कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है |
इश्क़ में गुजरी चंद यादें, तो कभी चंद लम्हे
हमने उनका रूठना , और हमारा उनको मनाना देखा है |
तरस रहे हैं सभी, उस आसमां की एक पल छाँव के लिए
हमने नवोदित रचनाकारों की कलम को, घायल होते देखा है |
हाथ में फूलदान लिए , गाड़ियों के पीछे भागता बचपन
हमने गरीबी का अजब आलम, अजब मंज़र देखा है |
उसकी पीठ से बंधा बच्चा, और सिर पर ईटों का अंबार
हमने दो वक़्त की रोटी की जद्दोजहद का , भयावह मंज़र देखा है |
दो वक़्त की रोटी को तरसते , लाखों परिवार
हमने अमीरों की पार्टी में , अन्न की बर्बादी का अजब मंज़र देखा है |
बाबाओं का पाखण्ड , और उनका अनैतिक आचरण
हमने बाबाओं को कभी नेता , तो कभी बिजनेसमैन होते देखा है |
नेताओं का वादा करना , और मुकर जाना
हमने नेताओं की हरकतों का , अजब मंज़र देखा है |
हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है
कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |
कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल
कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है ||
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