ग़ज़ल
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
एक तेरे आने की आस बाकी है
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
जी रहां हूँ कुछ इस उम्मीद से
एक तेरे दीदार की आस बाकी है
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
मनाऊँ किस तरह इस दिल को ए जालिम
एक तेरी पायल की आवाज बाकी है
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
करवटों की इन्तिहाँ न पूछो
एक तेरे घूंघट की चाह बाकी है
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
पाकर मैं तुझे भूल न जाऊं ए मेरी जान
एक तेरी खुशनुमा जुस्तजू बाकी है
तनहा – तनहा सी लग रही है फिजां
पा लिया सब कुछ तुझे पाकर
अब तो क़यामत की रात बाकी है
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