किस्सा – ए –
आजादी
किस्सा – ऐ – आजादी सुनाऊँ कैसे
उन वीरों के
बलिदान की
कहानी सुनाऊँ
कैसे
नरक हो गई थी
जिन्दगी हमारी
पल – पल हो गया
था
जिन्दगी का भारी
गोलियों के साए
में
पल रही थी
जिन्दगी हमारी
उन पलों की
जो नासूर बन उभरे थे
जिन्दगी की राह में
उन किस्सों को
बताऊँ कैसे
अनपढ़ बना हमारी
पीढ़ियों को
किया असभ्य
हमारे विचारों को
हमारी संस्कृति को
पल – पल
कुसंस्कारों के
आंसू पीते
जी रहे थे हम
उस दर्द , उस पीड़ा को
दिखाऊँ कैसे
फूल खिलने से
पहले ही
मसल देते थे
संस्कार पल्लवित हों
उससे पहले ही
रोंद देते थे
कुआदर्शो के
पुतलों ने किया था
इस देश पर प्रहार
चाहकर भी
समय लगा
देश प्रेम की भावना
जगाने में
अपने ही लोगों को
अपने साथ लाने में
परतंत्रता की बेड़ी में
जकड़े लोगों को
स्वतंत्रता का मन्त्र
सिखाने में
दो सौ वर्षों की पीड़ा
दो सौ वर्षों का अन्धकार
दो सौ वर्षों तक तरसे
स्वतंत्रता के बहार को
ये स्वतंत्रता का गीत सुनाऊँ कैसे
मिटी जवानियाँ देश पर
कुर्बान हुईं
माँ की गोदी
बिछुड़े सभी संगी
बिछुड़ा भाई से भाई
कहीं बचपन ने भी
देश प्रेम की आग में
अपनी जिन्दगी गंवाई
किस्से जवानों की बहादुरी
के सुनाऊँ कैसे
किस्सा – ए – आजादी
सुनाऊँ कैसे
सीमित था
जीवन सबका
सीमित धनिक उपलब्धियां
जीविकोपार्जन को तरसते लोग
जीवन में लक्ष्य का अभाव
जीवन को घसीटने का
कटु अनुभव
निचले स्तर पर
शिक्षा का अभाव
धनाड्य वर्ग से होकर
गुजरता पाश्चात्य का प्रभाव
चीथड़े लिपटे तन के साथ
गुजरती रातें
खुले आसमां को
बनाकर आशियाँ
जीवन यापन को मजबूर
परतंत्रता की बेड़ी
पहने
तरसते ,शोषित होते
घुंटी सांस के साथ
जीने को मजबूर
इन स्याह रातों की कहानी
सुनाऊँ कैसे
किस्सा – ऐ – आजादी
सुनाऊँ कैसे
चन्द जयचंदों की
काफिराना हरकतों ने
अपनों को
अपने ही देश में
अपनों के बीच
बेगाना कर दिया
इन क्रूर जयचंदों की
नामर्दांगी के चर्चे
सुनाऊँ कैसे
किस – ए – आजादी
सुनाऊँ कैसे
सुनाने को है
तो केवल
उन वीरांगनाओं की
वीरता के चर्चे
कहीं दुगावती बन
गोंडवाना के प्रति
उनका अनूठा प्रेम
तो कहीं
लक्ष्मीबाई बन
देश पर न्योछावर हो
जाने का ज़ज्बा
तो कहीं
अहिल्या बन
समाज व देश को
एक सूत्र में पिरोकर
देश प्रेम की आग को
प्रज्जवलित करने का
अनूठा साहसिक प्रयास
कहीं वीरों के
रूप में
सुभाषचंद्र बोस ,
महात्मा गाँधी , जवाहर , अम्बेडकर
तो कहीं बाल – लाल – पाल
की तिकड़ी ने
अंग्रेजों के
बचे हुए
हौसलों को पस्त किया
और शंखनाद किया
भारत छोड़ो
आन्दोलन का
यह अमित शंखनाद
दे गया आजादी
परतंत्रता की
गुलामी की बेड़ियाँ से
कहीं दूर
खुले आसमां के नीचे
सांस लेने का एक अहसास
जिसने आँखों में
भर दिए ख़ुशी के आंसू
भारत माता की जय ने दिया
देश प्रेम का ज़ज्बा
फिर आई वो रात
जब भारत – पाकिस्तान का
हुआ बंटवारा
बिछी लाशें
इस बंटवारे ने समाप्त
कर दिया
हिन्दू – मुसलमान
भाइयों के बीच का प्यार
उनका एक दूसरे के प्रति लगाव
फिर वो समय आया
जब आजादी के दीवाने
एक – एक कर प्रस्थित कर गए
इस धरा से
फिर राजनीति की एक ऐसी
परम्परा ने जन्म लिया
जिसने हिला दिया
स्वतन्त्र भारत में
रहने के जज्बे को
पल – पल क्षण – क्षण
देश को नोचते , चबाते
ये राजनीति के जीव
डूबा दिया जिन्होंने
उस उगते भारत के सूरज को
अँधेरे की उन स्याह रातों में
अथाह सागर में
जहां से भारत को
जीवित होकर
बाहर आने में
पीढ़ियों को
अपना पसीना बहाना होगा
फिर कोई गाँधी आयेगा
अन्ना के रूप में
हो सकता है
आने वाली पीढ़ी में
हर एक बच्चा
एक गाँधी बन उभरे
हर एक बच्चा
भगत सिंह बन निखरे
अन्ना के इस प्रयास ने
भारत को जीवन दिया है
असली आजादी पाने का सपना दिया है
क्रूर आँखों से ,
कुटिल विचारों से ,
आपराधिक पृष्ठभूमि से ,
ताकत के जोर से ,
धन के प्रभाव से रहित
कोसों दूर
एक अनूठे भारत निर्माण का
एक खुली आँखों से एक स्वप्न
दिया है
जगा दिया है युवा ताकत को ,
जगाया है ईमानदारी को ,
देश प्रेम को जगाया है ,
अहिंसक प्रयासों को ,
जहां केवल जीत मिलती है
मिलती है
प्रयासों को अभूतपूर्व सराहना
प्रस्थित होता है मार्ग
उस उजाले की ओर
जहां कभी
सूर्यास्त नहीं होता
जहां कभी
सूर्यास्त नहीं होता
जहां कभी
सूर्यास्त नहीं होता
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