आज
आदमी सहमा – सहमा सा क्यों है?
आज
आदमी
सहमा
– सहमा सा क्यों है ?
आज
आदमी
डरा - डरा सा क्यों है ?
आज
आदमी
वक़्त
– बेवक्त हो रही
अनैतिक
घटनाओं से
घबराया
– घबराया सा क्यों है ?
एक
अजीब सी
घुटन
वातावरण में
घुल
गयी है
एक
अजीब सा
वहशीपन
वातावरण को
संगीन
बना रहा है
आज
आदमी
तड़पता
– तड़पता सा क्यों है ?
समाज
में कुप्रवृत्तियों ने
अपना
दामन
पसार
लिया है
आज
आदमी
छुपता
– छुपता सा क्यों है ?
आज
नवयौवन
अपने
पतन के
रास्ते
अग्रसर हो रहा है
आज
आदमी
बेसहारा – बेसहारा सा क्यों है ?
नारी
व्यथाओं का
एक
नया दौर सा
आ
गया है
आज
आदमी
बेशर्म
– बेशर्म सा क्यों है ?
आज
वर्चस्व और अपने
आपको
जीवित रखने के बीच
होड़
सी लगने लगी है
आज
आदमी
बिकता
– बिकता सा क्यों है ?
आज
भौतिक जगत की
राह
पर
भागते
हम
हर
पल विचलित से
लगते
हैं
आज
आदमी
पंगु
– पंगु सा क्यों है ?
आज
दूसरों की
खुशियाँ
हमारी
परेशानियों का सबब हैं
आज
आदमी
परेशां
– परेशां सा क्यों है ?
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