तेरे नज़रे करम का सिलसिला रहे
तेरे नज़रे करम का सिलसिला रहे
ताउम्र ताउम्र ताउम्र रहे
जीते हैं तेरे दम से ए मालिक
ये विश्वास ताउम्र ताउम्र ताउम्र रहे
कौन कहता है कि तू दिखता नहीं है
तू मुझमे है , उसमे है , सबमे है
कब , कहाँ और किस पर तेरा करम हो जाये
इसकी इन्तिहाँ , इन्तिहाँ , इन्तिहाँ नहीं है
जो चार कदम चलने की सोच लेते हैं
तू उनका दामन छोड़ता , छोड़ता , छोड़ता नहीं है
कि किनारे पर पहुँचने की तमन्ना है मेरी
गर मुझे लहरों में तेरा दीदार हो जाए
पाने की फितरत के साथ जी रहे हैं सब
मैं सब कुछ लुटा दूं तुझ पर जो तेरा करम हो
जाए
मैंने पाया है हर जगह हर लम्हा तुझको ए मालिक
कि ये जहां फूलों की खुशबू से गुलजार हो जाए
तन्हाइयों में भी तेरा शुमार होता है
तेरा करम रहे जिन्दगी बहार हो जाए
तनहा – तनहा गुमसुम – गुमसुम से जी रहे हैं
सब
इस उम्मीद में कि शाम ढले सुबह हो जाए
लोग बेफिक्र . बेमुरौअत , बेहया हो रहे हैं
फिर भी तेरे करम की कोई इन्तिहाँ नहीं है
चलते हैं हम काँटों को फूल समझकर
क्या इसमें भी तेरी राजा , रजा , रजा नहीं है
मैं चाहता हूँ तेरे साए में जीना
इस उम्मीद से
कि मेरी जिन्दगी की शाम
तेरे दीदार को मोहताज न हो
तेरे नज़रे करम का सिलसिला रहे
ताउम्र ताउम्र ताउम्र रहे
जीते हैं तेरे दम से ए मालिक
ये विश्वास ताउम्र ताउम्र ताउम्र रहे
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