Sunday, 30 November 2014

स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम


स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम


स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम


पंकज से तुम पावन रहना , सत्य राह निर्बाध बढ़ो तुम
कर्म राह आदर्श हो तेरा , तपस्वी सा जीवन जियो तुम


बाधाओं से मत घबराना, स्वयं पर विश्वास करो तुम
गरिमामय हो छवि तुम्हारी , रत्नाकर सा ह्रदय विशाल बनो तुम


मनभावन हो रूप तुम्हारा , स्वयं से प्यार करो तुम
अहंकार तुझको न घेरे , ऐसे सुप्रयास करो तुम


मर्यादित जीवन हो तेरा , ऐसे कुछ आदर्श वरो तुम
आकर्षक व्यक्तित्व हो तेरा , ऐसे संस्कारित बनो तुम


धर्मानुकूल आचरण हो तेरा , ऐसे सन्यासी बनो तुम
अभिनन्दन हर जगह हो तेरा , ऐसे व्यक्तित्व बनो तुम


प्रभु भक्ति में जीवन बीते , सर्वश्रेष्ठ भक्त बनो तुम
नैतिकता हो राह तुम्हारी , ऐसे उत्तम चरित्र बनो तुम


स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम


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