Tuesday, 25 November 2014

आईने में देख सूरत मुस्कुरा रहे हैं वो

आईने में देख सूरत मुस्कुरा रहे हैं वो

आईने में देख सूरत मुस्कुरा रहे हैं वो
माना कि खुद को देख लजा रहे हैं वो

अपने हुस्न का परचम लहरा रहे हैं वो
तभी तो सबकी आँखों को भा रहे हैं वो

पूछे तो कोई उनसे उनकी खूबसूरती का राज़
यूं ही नहीं अपनी खूबसूरती सबको दिखा रहे हैं वो

अंदाज़ अपना सबसे अलग बता रहे हैं वो
हल्दी की उबटन से रोज नहा रहे हैं वो

उनकी नीली नीली गहरी आँखों की बातें न पूछो
यूं ही रोज काजल नहीं लगा रहे हैं वो

उनकी मस्त चाल पर नज़र न डालो
सुबह शाम कैटवाक की प्रेक्टिस यूं ही नहीं कर रहे हैं वो

उनका अंदाज़े बयाँ कुछ ख़ास खास है
यूं ही नहीं सबको देखकर मुस्कुरा रहे हैं वो

आईने में देख सूरत मुस्कुरा रहे हैं वो
माना कि खुद को देख लजा रहे हैं वो



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