Sunday 23 November 2014

ए खुदा

ए खुदा

ए खुदा गर मैं तुझसे मिलूँ
तो मैं तुझसे पूछूं
उस आशियाने का पता
जहां
पलती है इन्सानियत
जहां
खिलते हों
इबादत के फूल
जहां
खुदा का हो ठिकाना
मैं तुझसे पूछूं
उस रास्ते का पता
जो है जन्नत नसीब करे
मैं पूछूं तुझसे
राहे इबादत , राहे इंसानियत का
पता और ठिकाना
जहां बसता हो
जिन्दगी का कारवाँ
हे खुदा करम कर
तभी अचानक मैंने सुना
ए बन्दे
तू मुझे ढूँढता , यहाँ और वहां
मैं तो तेरे दिल के
एक कोने में हो रहा बसर
ज़रा खोजकर तो देख
ज़रा अपने दिल से पूछकर तो देख
ज़रा मेरे होने का एहसास तो कर
ज़रा दो कदम इंसानियत की राह पर तो चल
ज़रा किसी गरीब की आँखों के
आंसू पोछकर तो देख
कोशिश कर
किसी यतीम के बच्चे को पालकर तो देख
यहाँ वहां मत भटक
ए बन्दे
तू अपने आस पास देख
और मुझे महसूस कर
जिनको तू अपने आसपास देखता है
मैं उन सभी के दिलों में हूँ
तू मुझे यहाँ वहां मत खोज
मैं तेरे पास हूँ
मैं बस यहीं हूँ
मैं हूँ उस पालने में लेटे
उस नवजात के साथ
लोरी 
सुनाती
 
उस माँ के साथ
मैं बसता हूँ तेरे चारों और
तू मुझे सभी में
खुद में महसूस कर
तुझे जन्नत नसीब हो
मेरे बन्दे


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