Tuesday, 25 November 2014

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई

निराली है तेरी छवि हे कन्हाई निराली है तेरी छवि हे कन्हाई वंशी की धुन हमें दे सुनाई हे नंदनंदन हे मुरलीधर हम तुम पर जाएँ बलिहारी केवट बना हमें पार उतारो चरणों की प्रभु धूलि बना लो हम बालक नादान हैं मोहन संकट के प्रभु बादल हर लो तेरे चरणों से प्रीती हमको गिरधर पावन कर दो हमको निर्धन को प्रभु धन का वर दो हे मोहन भक्ति का रस दो ज़र्ज़र होती काया मेरी सुधि ले लो मनमोहन मेरी मुश्किल की है घड़ी है आई तन में प्राण नहीं रे कन्हाई दुर्बलता से मुक्ति दे दो मन को मेरे पावन कर दो अपने दरश दिखा दो मुझको हे बरसाने के कृष्णा मुरारी जब प्राण तन से निकलें तुम पास हो मुरारी मोहित हो गया हूँ मैं तेरी मनमोहक छवि पर सुद्बुध मेरी बिसरी तुझे अपने करीब पाकर मुझे मिल गया किनारा मोक्ष की घड़ी है आई निराली है तेरी छवि हे कन्हाई वंशी की धुन हमें दे सुनाई

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