Sunday, 29 December 2013

वक़्त कभी नाकाम नहीं होता



वक़्त कभी नाकाम नहीं होता

वक़्त कभी नाकाम नहीं होता
दिल दरिया कभी वीरान नहीं होता

जख्म खाए नहीं जिसने जमाने में
सदियाँ लगीं उसे मुस्कराने में

वक़्त का इन्तजार ना कर जालिम
वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता

वक़्त को कैद कर अपना बना ले
गया वक़्त दुबारा नहीं मिलता

इतिहास लिख धरा पर
वक़्त के माथे पर तिलक बन

वक़्त की कद्र करना सीख ले तू
वक़्त के आँचल में पलना सीख ले तू

वक़्त का दामन जो तूने छोड़ा तो
हर प्रयास तेरा नाकाम होगा

वक़्त के साए में जीना सीख ले तू
वक़्त के पालने में जीना सीख ले तू

बना वक़्त को चिरपरिचित मित्र अपना
वक़्त से सगा कोई मित्र नहीं होता


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